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Bhatakati Rakh

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कथाकार क रप म भीषम साहनी को सहज जीवनतता क लिए विशष तौर पर जाना गया । कहानी म भाषा, शली या कथय को लकर किसी भी फशनसममत परयोगधरमिता स बचत हए उनहोन कभी यह सिदध नही होन दिया कि कहानीपन को पारदरशी ईमानदारी क अलावा किसी भी चीज की जररत ह । 'भटकती राख' (पहला ससकरण 1966) उनकी बीस कहानियो का सगरह ह जिसम शीरषक-कथा क अलावा 'खन का रिशता', 'लनिन का साथी' और 'सिफारिशी चिटठी' जसी चरचित कहानियो क साथ अपन समय म खब पढी गई अनय कई कहानिया भी शामिल ह। वरतमान की जटिलताओ को अतीत क परिपरकषय म रखकर दखन-समझन की कोशिश क चलत य कहानिया समाज-मानवीय सवदना क इतिहास को एक अलग ढग स दखन की कोशिश करती ह । 'भटकती राख' कहानी म जिस वदधा की समतियो क माधयम स भीषम जी भविषय को रचन की सकलपना करत ह, वह सघरष की जीती-जागती तसवीर ह। वचारिक ऊषमा क साथ रची-गढी य कहानिया सिरफ हमार आज को ही परतिबिबित नही करती, बलकि उन रासतो को भी चिनहित करती ह, जिनस नए और अपकषाकत जयादा नयायसगत भविषय तक पहचा जा सकता ह। कहन की आवशयकता नही कि य कहानिया आज भी उतनी ही परासगिक ह, न सिरफ पाठको क लिए, बलकि कथा-लखको क लिए भी |

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Product Details
Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
8126705361 / 9788126705368
Book
01/01/2009
India
213 pages
General (US: Trade) Learn More