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Kal Ugega Suraj

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कहानी सबस पराचीन कला ह। जब दरशन, विजञान, इतिहास नही थ, तब भी कहानिया थी। यह इतिहास की जननी ह। यह वह दषटि ह, जो परतो क भीतर झाक लती ह। कलपना एव अनभव को परकट करन की आकाकषा का परतिफल ह कहानी। यह अतरमन क अनभवो व भावनाओ की अभिवयकति का माधयम ह। दारशनिक तथा मनोवजञानिक सिदधात कथाओ म ही मानवीय तरलता पात ह। रचनाए सकषम परकरिया स गजरती ह, लगातार अपन भीतर उतरत जाना होता ह, यह अनभति का कषतर ह। यह न अपन म समाधान ह और न अधयातम। यह मन क भीतर चल रह दवदव स साकषातकार ह। मन की दनिया बडी निराली ह। रचने का काम उगाने जैसा भी है। प्रत्येक कहानी लिखने से पहले किसान की तरह खेत की पूरी मिट्टी को कोड़ना पड़ता है। चेतना की गहराइयों में कोई बीज भूमि तोड़कर प्रकाश-दर्शन का मार्ग खोज रहा हो। रचना का सीधा संबंध जीवन से है। जो जीवन में है, वही साहित्य रचना में है। कहानी में एक पूरी जिंदगी आ जाती है।प्रसिद्ध कथाकार मृदुला बिहारी अपनी कहानियों में दार्शनिकता, मानवता तथा समाज के विविध पक्षों को बहुत सूक्ष्मता से उकेरती हैं। मानवीय संबंधों के महीन ताने-बाने का बोध कराती पठनीय कहानियाँ।

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Product Details
Prabhat Prakashan
8193433203 / 9788193433201
Book
15/07/2017
India
168 pages
General (US: Trade) Learn More