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Puratan Vigyan

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भारतीय ससकति क दो विलकषण पहल ह। एक, धरम एव अधयातम और दसरा, आधयतमिक विजञान। विडबना यह रही कि इनह वरगीकत करक परिभाषित नही किया गया। मिथक रपी विधा न इनह और जटिल बना दिया। लकिन इसकी चिरतरता और सफलता यह रही कि इसक तीनो रप शरति और वाचन म सरलता क कारण आज अपन मल रप म सरकषित ह। इनक रहसयो को तकनीक क उततरोततर विकास न परामाणिक साकषयो म बदल दिया। अतएव नासा न रामसत और समदर विजञानियो न दवारका व शरीलका क राम-रावण यदध म कषतिगरसत हए अवशषो को खोज निकाला। सॉफटवयर इजीनियरो न रामायण और महाभारत म उललिखित तिथियो की परामाणिकता सिदध कर दी। बहरहाल विजञान की अनक उपलबधियो क सतर हमार धरम गरथो म यतर-ततर-सरवतर बिखर पड ह।

इस पसतक म इसी सनातन जञान को चिरतन बनान की एक समनवयवादी वजञानिक पहल ह। इसम दिए अधयाय-'हवा का भोजन कर जीवित रही अहलया', 'बालक धरव क तारा बनन का विजञान', 'हनमान क उडन का विजञान', 'चौरासी लाख योनियो का विजञान', 'सरयरथ क एक चकरीय होन का विजञान', 'कभ परव म सनान का विजञान', 'तरनवाल पतथरो का विजञान', 'भरण परतयारोपण स जनम थ बलराम', 'रामायणो म विजञान', 'पराचीन भारत म टीकाकरण' एव 'पराचीन मदिरो म विजञान' परातन विजञान की महतता को सिदध कर भारतीय जञान चतना का दिगदरशन करात ह।

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Product Details
Prabhat Prakashan
939257309X / 9789392573095
Hardback
01/12/2022
India
192 pages
General (US: Trade) Learn More