Image for Himgiri Ki Gaurav Gathayen

Himgiri Ki Gaurav Gathayen

See all formats and editions

परसतत सभी कहानिया लखक की जनमभमि उततराखड क जन-जीवन स सबधित ह। अधिकाश कहानिया लखक दवारा गढी गई ह कित कछ कहानिया लोक म यतर-ततर बिखरी पडी, बहधा लोकसमति म बसी हई भी ह, जिनह बडी शरदधा क साथ लखक न शबदो म पिरोया ह। इस संग्रह में सम्मिलित कहानियाँ अनेकानेक भावभूमियों पर आधारित हैं। सचमुच इन 32 कहानियों का वर्गीकरण करना हो तो कदाचित् एक दर्जन वर्ग निर्धारित करने पड़ेंगे। इनमें लोककथाएँ हैं, कहावतों पर आधारित कहानियाँ हैं, सैकड़ों वर्षों से लोकजीवन में दंतकथा के रूप में जीवित कहानियाँ हैं। इस संग्रह में पर्वतीय वीरों की कथाएँ हैं तो शृंगार और वात्सल्य की कहानियाँ भी हैं। इतना ही नहीं, इनसे पर्वतीय जीवनशैली, पर्वतीय देवी-देवताओं, मान्यताओं, विश्वासों तथा रीति-रिवाजों के संबंध में अनायास ही नई-नई जानकारियाँ पाठकों को प्राप्त होती हैं। लैंदी, खबोड़ और गलदार जैसे पहाड़ी बोली के सैकड़ों शब्दों का परिचय भी सहज ही हो जाता है।हिमगिरि के गौरव का जयघोष करनेवाली एक पठनीय कृति।

Read More
Special order line: only available to educational & business accounts. Sign In
£22.09 Save 15.00%
RRP £25.99
Product Details
Pawan Agrawal
9386870150 / 9789386870155
Hardback
01/12/2018
India
160 pages
General (US: Trade) Learn More