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Jharkhand Ke Anjane Khel

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जिदगी कहा ह? सरल सा जवाब ह-आसपास। आसपास, यानी लोक जीवन म, जहा रस और रग भरपर ह। इसको खोजन एव महसस करन क लिए बस दिल चाहिए। आधनिक शहरी जिदगी म जब समय कम हो, हरक बात का लखा-जोखा किया जाता हो, तब एक धपपा मारन की जररत ह। कहानियो म, भली-बिसरी गलियो म, बचचो क कोलाहल म, मदान म खलत-कदत बचचो क चहरो म, परानी यादो म, दोसतो म, गाव एव शहर की गलियो म। यह जीवन खल ह। यहा चपप-चपप पर खल जारी ह। खल जीवन का, खल अपना।लोक खेलों की अपनी एक अलग ही दुनिया है। अलग इसलिए कि शहरी लोग अनजाने में इनसे कटते गए हैं। मीडिया और आयोजकों की दृष्टि से भी ये बचे रहे। इस तरह लोक खेलों की परंपरा सिर्फ गाँव में ही बची रह गई है। इन खेलों में प्रतिस्पर्धा के आयोजकों में परंपरा नहीं रही तो पुरस्कार कहाँ से होते? अब तो स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि बच्चे भी इसे दकियानूसी एवं पुराने खेल कहकर नकार देते हैं। ऐसे में इन खेलों का स्मरण एवं इनके प्रति लोगों की चेतना जाग्रत् करना ही इस पुस्तक का लक्ष्य है।

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Product Details
Pawan Agrawal
9386870657 / 9789386870650
Hardback
01/12/2019
India
128 pages
General (US: Trade) Learn More