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Premchand Ki Sarvashreshta Kahaniyan (???????? ?? ??????????? ????????)

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परमचद न हिनदी कहानी को निशचित परिपरकषय और कलातमक आधर दिया। उनकी कहानिया परिवश बनती ह। पातरा चनती ह। उसक सवाद बिलकल उसी भाव-भमि स लिए जात ह जिस भाव-भमि म घटना घट रही ह। इसलिए पाठक कहानी क साथ अनसयत हो जाता ह। परमचद यथारथवादी कहानीकार ह, लकिन व घटना को जयो का तयो लिखन को कहानी नही मानत। यही वजह ह कि उनकी कहानियो म आदरश और यथारथ का गगा-जमनी सगम ह।<br>कथाकार क रप म परमचद अपन जीवनकाल म ही किवदती बन गय थ। उनहोन मखयतः गरामीण एव नागरिक सामाजिक जीवन को कहानियो का विषय बनाया। उनकी कथायातरा म शरमिक विकास क लकषण सपषट ह, यह विकास वसत विचार, अनभव तथा शिलप सभी सतरो पर अनभव किया जा सकता ह। उनका मानवतावाद अमरत भावातमक नही, अपित ससगत यथारथवाद ह।

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Product Details
Diamond Books
9355994230 / 9789355994233
Hardback
14/09/2022
India
162 pages
140 x 216 mm