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Khali Jagah

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खाली जगह गीताजलि शरी सवदना और गहरी दषटि स भाषा क अनोख खल की रचना करता ह गीताजलि शरी का उपनयास - 'खाली जगह'। इस उपनयास म लखिका न नरटिव की चिनदियो को विसफोट की तरह फलन दिया ह - बार-बार सतयता क दावो म छद करत हए। 'खाली जगह' म मल तततव वह हिसा ह जो हमार, रोजमरर की जिनदगी म समा गई ह। 'बम' इसका कनदरीय रपक ह जो जिनदगियो क परखच उडा दता ह। एक अनाम शह क अनाम विशवविदयालय क सरकषित समझ जानवाल कफ म एक बम फटता ह - और उननीस लोगो की शिनाखत स शर होती ह - 'खाली जगह' की कहानी। उननीसवी शिनाखत करती ह एक मा - अपन राख हए अठारह साल क बट की और यही मा ल आती ह बट की चिनदियो क साथ एक तीन साल क बचच को, जो सलामत बच गया ह, न जान कस, जरा-सी खाली जगह म...| गीताजलि शरी ऑबजकटिव और सबजकटिव यथारथ क बीच जो तालमल बिठाती ह वह सपषट, तारकिक करम को तोडता ह। वह उसम लखकीय वकतवय दकर कोई हसतकषप नही करती। पातरो की भावनाए, उनक विचार और करम, असत-वयसत उदघाटित होत ह, घट हए, कभी ठोस, कभी जबरदसत आस और गडबडाई तरतीब म हरानी स भिच हए। पछत स कि कया यही ह जीवन, यही होता ह उसका रग-रप, ऐसा ही होना होता ह? 'खाली जगह' गीताजलि शरी क लखन की कशलता का सबत ह, वह कलपना और यथारथ क अभद स बनी जिनदगी बटोर लाती ह और 'खाली जगह' पाठको क मन पर अपना अमिट परभाव छोड जाता ह।

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Product Details
Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
8126718579 / 9788126718573
Book
01/01/2006
India
244 pages
General (US: Trade) Learn More