Image for Kitne Chaurahe

Kitne Chaurahe

See all formats and editions

कितन चौराह' फणीशवरनाथ रण का पठनीय लघ उपनयास ह । पहली बार यह 1966 म परकाशित हआ । इस उपनयास क वततानत म लखक न निजी जीवन की कई घटनाओ को सयोजित किया ह ।. 'कितन चौराह' की रचना का उद‌दशय सपषट ह । यह उपनयास आजादी क लिए सघरष करन और बलिदान दनवाल यवको को कनदर म रखकर लिखा गया ह, ताकि आज क किशोरो म दशपरम, सवा, तयाग आदि आदरशो क भाव जागरत हो सक । यह उपनयास वयकतिगत सख-दख, सवारथ-मोह स ऊपर उठकर दश क लिए जीन-मरन वालो क मानवीय, सवदनशील रप को उभारता ह । पाठको क मन म यह वततानत शरदधा जागरत करता ह । पाठक क मन म चारो ओर चीखत भरषटाचार, सवारथपरता आदि क परति कषोभ उभरता ह । उतसरगी परमपरा क परति आकरषण बढता ह । 'कितन चौराह' म 'आचलिकता का विशवसनीय पट, जवलनत चरितर सषटि, मारमिक कथावसत और चरितरानकल भाषा मोहित करती ह । साधारण म निहित असाधारणता का उनमष सरवोपरि ह । रण क उपनयास-शिलप की अनक विशषताए इस रचना म दषटिगोचर होती ह । शबदो क बीच स बिमब झाकत ह, 'सरज पचछिम की ओर झक गया । बालचर पर लाली उतर.आई । परमान की धारा पर डबत हए सरज की अनतिम किरण झिलमिलाई ।' जीवन का जयगान करता उपनयास ।

Read More
Special order line: only available to educational & business accounts. Sign In
£24.99
Product Details
Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
8126729074 / 9788126729074
Book
01/01/2014
India
135 pages