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Zindagi Ke 78 Kohinoor

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जीवन म होनवाली घटनाए हमशा हम कछ-न-कछ सिखाकर हमारा जञान, अचछाई और तजरबा बढाती ह। जीवन म कभी-कभी अचछाई क लिए मनषय को कछ-न-कछ तयाग करना पडता ह। जीवन म अचछाई की यह शिकषा इनसान को परकति स मिली ह। परकति क परतयक कारय म सदव भलाई की भावना निहित दिखाई पडती ह। नदिया अपना जल सवय न पीकर दसरो की पयास बझाती ह। वकष अपन फल दसरो को अरपित करत ह। बादल पानी बरसाकर धरती की पयास बझात ह। सरय तथा चदर भी अपन परकाश को दसरो म बाट दत ह। इसी परकार अचछ इनसान का जीवन भलाई म ही लगा रहता ह। जीवन म हर इनसान छोट-छोट कारय करक अनक परकार की अचछाई ससार म कर सकता ह। भख को रोटी खिलाकर, अशिकषितो को शिकषा दकर, जररतमद को दान दकर, पयास को पानी पिलाकर व अबलाओ तथा कमजोरो की रकषा कर अचछाई की जा सकती ह। -इसी पुस्तक सेभारत के सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास से गहरे लगाव के कारण कोरोना काल में फुर्सत के पलों में तैयार पुस्तक 'जिंदगी के 78 कोहिनूर' में घटनाओं और प्राप्त अनुभवों के आधार पर जिंदगी की वास्तविकता को जैसा लेखक ने समझा है, उन्हें दृढ़ संकल्प, साफ नीयत और अटल निष्ठा के साथ स्पष्ट करने का प्रयास किया है। मेरा यह पहला प्रयास आपके सामने है। यह कैसी बन पड़ी है, इसका निर्णय आपको करना है।

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Product Details
Prabhat Prakashan
9390900905 / 9789390900909
Paperback / softback
01/12/2021
India
256 pages
General (US: Trade) Learn More